विभाग : जनजाति विकास विबाग, उत्तय प्रदेश
योजना का उद्देश्य/परिचय

अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को न्याय दिलाने एवं उनके हितों के संरक्षण के उद्देष्य से नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम 1955 तथा अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 का क्रियान्वयन किया जा रहा हैं । यह अनुसूचित जातियों और जनजातियों में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ़ अपराधों को दंडित करता है। यह पीड़ितों को विशेष सुरक्षा और अधिकार देता है।


पात्रता
  • उम्र- कोई आयु सीमा नहीं।
  • लिंग- स्त्री०/पु०/ट्रांसजेण्डर।
  • वर्ग- केवल अनुसूचित जनजाति।
  • वार्षिक आय- लागू नहीं।
  • मूल निवास- लाभार्थी उत्तर प्रदेश का मूल निवासी होना चाहिए।
  • विशेष मानदण्ड-
    • हत्या या मृत्यु- पीड़ित जन।
    • बलात्संग/ सामूहिक बलात्संग।
    • मतदान के अधिकार के संबंध में।
    • किसी महिला की लज्जा भंग करना।
    • महिला का लैंगिक शोषण।
    • मिथ्या दोषपूर्ण या तंग करने वाली विधिक कार्यवाही।
    • मिथ्या या तुच्छ जानकारी पच्सीस हजार रुपये या वास्तविक व्यय।
    • अपमान अभित्रास।
    • पानी गन्दा करना।
    • मार्ग के रूढ़िजन्य अधिकार से वंचित करना।
    • किसी को निवास स्थान छोड़ने पर मजबूर करना।
    • मिथ्या साक्ष्य देना।
    • भारतीय दंड संहिता के अधीन 10 वर्ष या उससे अधिक की अवधि के कारावास से दंडनीय अपराध करना।
    • किसी लोक सेवक के हाथों उत्पीड़न।
    • नियोगिता कल्याण मंत्रालय भारत सरकार की समय-समय पर यथा संशोधित अधिसूचना में शारीरिक और मानसिक नियोग्यताओं का उल्लेख किया गया है 100 प्रतिशत असमर्थता।
    • जहां असमर्थता 100 प्रतिशत से कम हो पूर्णतया नष्ट करना/ जला हुआ मकान।
    • क्षति पहुंचाना, अपमानित करना या क्षुब्ध करना।
    • अनादर सूचक कार्य।
    • भूमि, परिसर या जल से संबंधित अपराध।

लाभ

विस्तृत विवरण देखें


आवश्यकताएँ
  • प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति।
  • यथा आवश्यक चिकित्सा जांच रिपोर्ट।
  • जाति प्रमाण पत्र।
  • बैंक खाता विवरण।

आवेदन का मोड

ऑफलाइन।


आवेदन प्रक्रिया

पुलिस विभाग द्वारा अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की सुमेगत धाराओं में प्रथम सूचना रिपोर्ट के पश्चात् विवेचना के उपरान्त पीड़ित व्यक्ति को आर्थिक सहायता प्रदान किये जाने हुए स्वतः प्रस्ताव जिला समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय को प्रेषित किया जाता है।


लाभ प्राप्त करने के लिए किससे सम्पर्क करना होगा?

जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति की स्वीकृति के पश्चात् पीड़ित व्यक्ति को धनराशि उनके बैंक खाते में प्रेषित कर दी जाती है।