अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को न्याय दिलाने एवं उनके हितों के संरक्षण के उद्देष्य से नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम 1955 तथा अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 का क्रियान्वयन किया जा रहा हैं । यह अनुसूचित जातियों और जनजातियों में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ़ अपराधों को दंडित करता है। यह पीड़ितों को विशेष सुरक्षा और अधिकार देता है।
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ऑफलाइन।
पुलिस विभाग द्वारा अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की सुमेगत धाराओं में प्रथम सूचना रिपोर्ट के पश्चात् विवेचना के उपरान्त पीड़ित व्यक्ति को आर्थिक सहायता प्रदान किये जाने हुए स्वतः प्रस्ताव जिला समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय को प्रेषित किया जाता है।
जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति की स्वीकृति के पश्चात् पीड़ित व्यक्ति को धनराशि उनके बैंक खाते में प्रेषित कर दी जाती है।