स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय इस विभाग को हरिजन सहायक विभाग के नाम से जाना जाता था। इसके पूर्व से ही रिक्लेमेंशन विभाग के नाम से एक पृथक विभाग संचालित था जिसे वर्ष 1955 में समाज कल्याण विभाग के रूप में प्रतिस्थापित किया गया। वर्ष 1961 में हरिजन सहायक विभाग एवं समाज कल्याण विभाग को एक ही अधिकारी निदेशक हरिजन एवं समाज कल्याण के नियंत्रणाधीन संचालित करने का निर्णय हुआ। कालान्तर में वर्ष 1977-78 में सभी स्तरों पर दोनों पृथक विभागों का विलीनीकरण कर हरिजन एवं समाज कल्याण विभाग अस्तित्व में आया। वर्ष 1991-92 से हरिजन शब्द को लुप्त करते हुए समाज कल्याण विभाग नाम से यह विभाग संचालित हो रहा है। वर्ष 1995-96 में समाज कल्याण विभाग के अधीन संचालित योजनाओं को पृथक-पृथक कर नये विभागों का सृजन कर उनके माध्यम से योजनाओं को संचालित किये जाने का निर्णय प्रदेश शासन ने लिया, फलस्वरूप महिला कल्याण, पिछड़ा वर्ग कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण एवं विकलांग कल्याण विभाग अस्तित्व में आये।
समाज कल्याण विभाग का मूल उद्देश्य वर्तमान सामाजिक एवं आर्थिक परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में निर्बल वर्गों के चतुर्दिक विकास की योजनायें बनाना एवं उनको उक्त वर्ग के हितार्थ क्रियान्वित करना है।
शिक्षा, व्यक्ति अथवा समाज की उन्नति की कुंजी है। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए अनुसूचित जातियों, जनजातियों, विमुक्त जातियों में शिक्षा के प्रति रूचि उत्पन्न करने के लिए छात्रवृत्ति प्रदान करने की योजना का संचालन इन वर्गों के लिए किया जा रहा है। कक्षा-9 से स्नातकोत्तर स्तर, प्राविधिक एवं तकनीकी शिक्षा एवं उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न पाठ्यक्रमों हेतु समाज कल्याण विभाग अध्ययनरत छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करता है।
छात्रवृत्ति प्रदान करने के साथ-साथ इन निर्बल वर्गों के छात्रों को आवासीय सुविधा प्रदान करने हेतु जिला मुख्यालयों पर छात्रावासों का निर्माण एवं संचालन भी समाज कल्याण विभाग द्वारा किया जा रहा है। यही नहीं बल्कि अत्यन्त निर्धन परिवार जो अपने प्रतिदिन की भोजन व्यवस्था करने में असमर्थ एवं अनिश्चित भविष्य के शिकार होते है, ऐसे परिवारों के बच्चों हेतु समाज कल्याण विभाग, आश्रम पद्धति विद्यालयों का संचालन करता है। इन विद्यालयों में गरीब बच्चों को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ भोजन, कपड़ा एवं आवास भी राज्य सरकार उपलब्ध कराती है।
छात्रवृत्ति, छात्रावास, आश्रम पद्धति विद्यालयों आदि योजनाओं का उद्देश्य एक ही है- समाज के पिछड़े तबके का शैक्षणिक स्तर सुधारना एवं उन्हें समाज की मुख्य धारा के समतुल्य लाना। इसी प्रक्रिया में इस वर्ग के छात्रों को प्रतियोगी प्रतिष्ठा-परक परीक्षाओं के समतुल्य बनाने के लिए समाज कल्याण विभाग द्वारा निःशुल्क कोचिंग की सुविधा भी प्रदान की जा रही है। इसके अतिरिक्त प्रदेश के समस्त जनपदों में सभी वर्गों के लिए मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना संचालित है। समाज कल्याण विभाग द्वारा समाज के आर्थिक एवं सामाजिक रूप से दुर्बल व्यक्तियों/परिवारों के कल्याणार्थ अनेक जनकल्याणकारी योजनायें संचालित हैं, जिनमें से वृद्धावस्था पेंशन योजना, पारिवारिक लाभ योजना, मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना एवं अत्याचार उत्पीड़न की दशा में आर्थिक सहायता योजनायें प्रमुख है।